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कौन है?-

"मैं तुम्हारी मौत हूँ।" उसके मुंह से भारी भरकम आवाज निकली। मार्गरिटा के बदन में खौफ की लहर दौड़ गई। अंधेरे में भी उसको साफ-साफ महसूस हो रहा था कि मार्गरिटा के चेहरे की क्रांति बुझ गई थी। मार्गरिटा की घबराहट देख कर उसने जोर से ठहाका लगाया। "तुम डर गई थी ना? कितनी डरपोक हो तुम?" उसने शरारत भरे अंदाज में कहा था। "मैं तो बस तुम्हारा मजा ले रहा था। कब से तुम अपने बेवफा प्रेमी की करतूत पर पछता रही थी तो मैंने सोचा कुछ देर तुम्हारा ध्यान वहाँ से भटका दूँ।" "तुमने मेरी जान ले ली यार। ऐसा मजाक नहीं करते, पता है मैं कितना डर गई थी? मेरी उखड़ी हुई साँसे अभी भी नॉर्मल होने का नाम नहीं ले रही।" "मैं तो बस तुम्हें उस चूहे की यादों से मुक्त करना चाहता था। जब तक उसकी धोखेबाजी को याद करती रहोगी तब तक तुम डिस्टर्ब रहोगी। सो-- मैंने तुम्हारा ध्यान भटकाने की कोशिश की। मुझे इस वक्त जो सूझा वही मैंने किया।" "लेकिन यह सही नहीं था।" मार्गरिटा अभी भी अपनी तेज धड़कनों को कंट्रोल नहीं कर पाई थी। मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता है आरव। बहरहाल इस वक्त मैं ऐसे हालात से गुजर रही हूँ कि मेरे साथ किया गया कोई भी मजाक मेरे लिए जानलेवा साबित हो सकता है।" "देखो मार्गरिटा, मैं तुम्हें मेरे साथ इसलिए लाया हूँ कि तुम अतीत भूल कर अपनी खूबसूरत जिंदगी का दोबारा लुफ्त उठा सको। सच कहूँ तो मुझे ना-उम्मीद और थके हारे, नाखुश लोग बिल्कुल पसंद नहीं है। उन्हीं लोगों को मैं अपनी जिंदगी में शामिल करता हूँ जो खुशहाल रहते हैं। जिसके चेहरे पर जीवंत मुस्कान हमेशा सजी रहती है। जरा सोचो, खिलखिलाते हुए इंसान की अचानक साँसे छीन ली जाए तो उसका क्या आलम होगा?" "आरव प्लीज ...!" मार्गरिट चिल्ला उठी। चारों तरफ फैले काले अंधेरे के बीच पनपते सन्नाटे को चीरते हुए आरव के ठहाके गूंज रहे थे। मार्गरिटा का मन पूरी तरह आंदोलित हो चुका था। जिस बहरूपिया को मार्गरिटा आरव समझ रही थी, उसका बर्ताव उसे बेहद ही अजीब लगा था।  "आरव, कुछ समझो यार, इस तरह मुझे मत डराओ। मेरा दिल बहुत घबरा रहा है।" मार्गरिटा बहरूपिये को विनती कर रही थी जिसका उस पर कोई असर नहीं था। निष्ठुर सा वह उसी दिशा में बाइक भगा रहा था जिस दिशा में एक काली पहाड़ी थी। और उस पहाड़ी में खंडहर सा एक पुराना महल मौजूद था। जो सुखी नदी के दूसरे छोर पर बडी पहाड़ी पर मौजूद था। "सॉरी मार्गरिटा, बातों बातों में ही हम अपने मुकाम पर पहुँच गए।" आरव के शब्दों में उसकी खुशी झलक रही थी। उसने बाइक की गति और तेज कर दी थी। इतनी तेज -----कि मार्गरिटा को लगा शायद वह उसके पीछे से उड़ जाएगी। मार्गरिटा का दिमाग इस वक्त उलझा हुआ था। अब उसका दिल इस बात की गवाही दे रहा था कि उससे इंसान को परखने की गलती दोबारा हुई है। और अब वो अपने घर ले जाने की बात कर रहा था जबकि यह तो इंसानी बस्ती से दूर कोई पहाड़ी इलाका था।  "मगर हम तो तुम्हारे घर जाने वाले थे, है ना आरव?" मार्गरिटा ने डरते डरते पूछा। "हाँ, मैंने तुम्हें यही बताया था!" उसने चंद्रमा की रोशनी में नजर आ रहे पुराने महल के खंडहरों की ओर देखते हुए कहा। "मैं यहाँ रहता हूँ, लोगों से दूर अपनी दुनिया में।" "क्या मतलब है आपका?"  "डरो मत बस में एक मिशन पर काम कर रहा हूँ, इसलिए लोगों से दूरी बनाए रखी है। मैं जहाँ रहता हूँ वहाँ सुकून ही सुकून है। तुम्हारा बॉयफ्रेंड रोहित तुम्हारे पीछे यहाँ तक आने से रहा। और अगर आ भी गया तो इसका हश्र जैसा तुम चाहोगी ऐसा ही होगा।" "अच्छा?" बहरूपिया के रूप में रहे आरव की बात सुनकर मार्गरिटा की आँखों में चमक ऊभर आई। धोखेबाज रोहित को मार्गरिटा सबक सिखाना चाहती थी। ठीक है मैं चाहूँगी कि तुम रोहित को ऐसा सबक सिखाओ की फिर कभी वह किसी लड़की की इज्जत के साथ ना खेले।" "तुम्हारी इस विश को हम जरूर पूरा करेंगे।" बड़े ही अजीब ढंग से यह बात कहते हुए आरव ने बाइक को ब्रेक लगाई। मार्गरिटा ने देखा कि कुछ ही दूरी पर पहाड़ी में पुराना महल था जो इस वक्त आधा खंडहर में बदल चुका था।  "इस महल के कुछ कमरे अभी भी महफूज मार्गरिटा।" जब तक हम तुम्हारी विश को पूरा कर नहीं लेते तब तक तुम हमारे साथ हो। अब तो रोहित को न चाहते हुए भी यहाँ तक आना होगा। हमारा वादा है कि रोहित को उसके किए की सजा जरूर मिलेगी। मगर तुम्हें यह तय करना होगा कि रोहित के साथ कैसा इंसाफ किया जाए? वह मैं तुम पर छोड़ता हूँ।"  आरव की बात सुनकर मार्गरिटा रोहित को सजा देने के लिए अपने मन को तैयार कर चुकी थी। "ठीक है।" उसने हामी भरी। बाइक को सड़क पर छोड़ कर दोनों पहाड़ी के दुर्गम रास्ते पर चलने लगे। जंगल पूरी तरह शांत नहीं था। दूर-दूर से तरह-तरह की डरावनी आवाजें सुनाई दे रही थी। आसपास जैसे कई सारे झींगुरे का हुजूम उमड आया था। जंगली भेडियों की आवाजें सुनकर कोई भी इंसान इस डरावने जंगल में पैर रखने की जुर्रत नही करेगा। मार्गरिटा आरव के साथ उसकी परछाई बनकर चलने लगी। काश कि वह एक बार पीछे मुड़ कर देख लेती। मगर ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि सब कुछ पहले से मुकर्रर था।  "तुम्हारी कमर पर नाग का निशान क्यों है? इस बात को जानने की तुमने कभी कोशिश नहीं की?" "नहीं, मार्गरिटा ताज्जुब से आरव की ओर देखते हुए बोली, उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि नाग का निशान मेरी जीवन शैली में कभी आड़े नहीं आया।" "हाँ, यह बात तो सही है लेकिन एक बात तो तय है कि प्रकृति अपनी सृष्टि में कोई भी निशान बेवजह नहीं छोड़ती।" मार्गरिटा आरव के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही थी। रास्ता पथरीला होने के बावजूद मार्गरिटा को गिरने का डर नहीं था। इस वक्त उसकी आँखों में उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए रोहित का दृश्य उमड़ आया था। "तुम्हारी कमर पर भी नाग का निशान बेवजह नहीं है।" आरव ने जैसे ही यह बात कही ऐसे ही मार्गरिटा का चेहरा उतर गया।  "आपको यह सब कैसे पता है?" "क्या तुम्हें अपनी माँ ने कुछ नहीं बताया?" आरव उसकी जिज्ञासा बढ़ाए जा रहा था। "नही, इसके बारे में मेरी माँ ने मुझे कभी नहीं बताया।" उसके चेहरे पर उदासी छा गई। "जबकि तुम्हारी पालक माँ को सच्चाई का पता था।" "कौन सी सच्चाई आरव? और पालक माँ? किसे तुम पालक माँ कह रहे हो? पहेलियाँ मत बुझाओ जो भी है मुझे सही-सही बताओ। सच्चाई जानने को मेरा दिल उतावला हो रहा है।" "इसके लिए तो है अपना दिल पर पत्थर रखना होगा मार्गरिटा!" "बताओ ना यार प्लीज कितनी भूमिका क्यों बांध रहे हो?" "क्योंकि इसी नाग के निशान की वजह से तुम्हारी जन्मदाता मैया ने तुम्हें और मारिया को खुद से अलग कर दिया था।" "क्या बक रहे हो तुम?" "मुझे यकीन था मेरी बात पर तुम्हें भरोसा नहीं होगा। लेकिन तुम्हारे भरोसा ना कर ले से हकीकत बदल नहीं जाएगी। जब तुम्हारी माँ पेट से थी तब तुम्हारी दादी को एक भिखारी ने आगाह किया था कि इस घर में जन्म लेने वाली बच्चियां अपने ही परिवार के विनाश का कारण बनेगी। बस इसी बात को लेकर तुम्हारी माँ ने तुम दोनों को हॉस्पिटल में जन्म देते ही एक निसंतान नर्स के हवाले कर दिया था।" "ओह!" मार्गरिटा के चेहरे पर बल पड़ गए। मतलब कि भिखारी की बात सही थी।  "बिल्कुल सही थी। तुम्हारी पालक माता के मौत की वजह तुम्हारा यही शाप रहा है।"  दोनों महल में प्रवेश कर चुके थे। खंडहर जैसे महल के दरवाजे पर बैठे कई सारे चमगादड़ एक साथ शोर मचा कर चीखते हुए उड़े और अंधेरे में गुम हो गए। महल में रोशनी जरा भी नहीं थी। "ऐसी जगह पर हम कहाँ रहेंगे आरव?" मार्गरिटा भीतर का नजारा देखकर सहम गई थी। "तुम अंदर तो आओ।" कहते हुए आरव मार्गरिटा का हाथ पकड़कर अंदर ले आया। गर्भगृह में एक बड़ा बेडरूम था। जिसे देखकर मार्गरेटा की आँखें चौधिया गई।


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1 Comments

Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:59 AM

बेहतरीन

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